पृथ्वीराज रासो |
रेवा तट |
अमीर खुसरो |
खुसरों की पहेलियाँ और मुकरियाँ |
विद्यापति की पदावली |
(संपादक – डॉ. नरेन्द्र झा) – पद संख्या 1 – 25 |
कबीर |
(सं.- हजारी प्रसाद द्विवेदी ) – पद संख्या 160 – 209 |
जायसी ग्रंथावली |
(सं. राम चन्द्र शुक्ल ) – नागमती वियोग खण्ड |
सूरदास |
भ्रमरगीत सार (सं. राम चन्द्र शुक्ल) – पद संख्या 21 से 70 |
तुलसीदास |
रामचरितमानस, उत्तरकांड |
बिहारी सतसई |
संकलन – जग्गनाथ दास रत्नाकर (दोहा 1-50 तक) |
घनानंद कवित्त |
संकलन – विश्वनाथ मिश्रकवित्त(1-30 तक) |
मीरा |
संकलन – विश्वनाथ त्रिपाठी(1-20 पद तक) |
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |
प्रियप्रवास |
मैथिलीशरण गुप्त |
भारत भारती, साकेत (नवम् सर्ग) |
जयशंकर प्रसाद |
आंसू, कामायनी (श्रद्धा, लज्जा, इड़ा) |
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला ‘ |
जुही की कली, जागो फिर एक बार, सरोजस्मृति, राम की शक्तिपूजा, कुकरमुत्ता, बाँधो न नाव इम ठाँव बंधु |
सुमित्रानंदन पंत |
परिवर्तन, प्रथम रश्मि, द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र |
महादेवी वर्मा |
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ, मैं नीर भरी दुख की बदली, फिर विकल है प्राण मेरे, यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो |
रामधारी सिंह दिनकर |
उर्वशी (तृतीय अंक), रश्मिरथी |
नागार्जुन |
कालिदास, बादल को घिरते देखा है, अकाल और उसके बाद, खुरदरे पैर, शासन की बंदूक, मनुष्य है। |
सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ |
कलगी बाजरे की, यह दीप अकेला, हरी घास पर क्षण भर, असाध्यवीणा, कितनी नावों में कितनी बार |
भवानीप्रसाद मिश्र |
गीत फरोश, सतपुड़ा के जंगल |
गजानंद माधव ‘मुक्तिबोध’ |
भूल गलती, ब्रह्मराक्षस, अंधेरे में |
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ |
नक्सलवाड़ी, मोचीराम, अकाल दर्शन, रोटी और संसद |