निबंध की शैली कितने प्रकार की होती है ?
निबंध की शैलियाँ(Nibandh ki Shailiyan): आज के आर्टिकल में हम गद्य विधा में हिंदी निबंध की शैलियाँ पर जानकारी शेयर करेंगे।
निबंध की शैलियाँ – Nibandh Ki Shailiyan
हिंदी निबंध की प्रमुख शैलियाँ समास शैली, व्यास शैली, तरंग शैली, धारा शैली ,विक्षेप और प्रलाप शैली होती है हिंदी निबंध के मुख्यत: पांच तत्त्व होते है।
हिंदी निबंधों की 5 प्रमुख शैलियाँ हैं –
- समास शैली
- व्यास शैली
- तरंग शैली
- धारा शैली
- विक्षेप एवं प्रलाप शैली
(1) समास शैली –
समास प्रधान शैली वह होती है, जिसमें विचारों के विस्तार को संक्षिप्त रूप में प्रकट किया जाता है। इसमें वाक्य सुगठित, परिमार्जित तथा भावविचार सुगुम्फित एवं अलंकृत होता है। विचारात्मक निबंधों में इस शैली का प्रयोग होता है। शुक्ल जी के मनोविकारों से संबंधित निबंधों (यथा—लज्जा, ग्लानि, उत्साह, लोभ- प्रीति इत्यादि) में इस शैली के दर्शन होते हैं।
(2) व्यास शैली –
व्यास प्रधान शैली वह होती है, जिसमें विचारों एवं भावों को सरल-सहज शब्दावली में समझा-बुझाकर प्रस्तुत किया जाता है। सुबोधता एवं प्रसाद गुण इस शैली की मुख्य विशेषता है। वर्णनात्मक एवं विवरणात्मक निबंधों में व्यास शैली अपनायी जाती है।
(3) तरंग शैली –
तरंग शैली में भाव लहराते हुए से प्रतीत होते हैं। तरंग की भाँति वे उठते और गिरते प्रतीत होते हैं। यह धारा शैली एवं विक्षेप शैली के बीच की शैली है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का मत है। कि “वह भावाकुलता की उखड़ी खड़ी शैली है, जिसका मुख्य गुण पाठकों के हृदय को आंदोलित करना भर है।”
हजारी प्रसाद द्विवेदी के ललित निबंधों (कल्पलता, अशोक के फूल) तथा डॉ. रघुवीर सिंह की ‘शेष स्मृतियाँ’ कृति में इस शैली का सुंदर प्रयोग मिलता है।
(4) धारा शैली –
भावनात्मक एवं ललित निबंधों में धारा शैली का प्रयोग होता है। धारा शैली में भावों की धारा निरंतर प्रवाहमान होकर प्रायः एक गति से चलती है। वस्तुतः, इसमें भावना का आवेग समान स्तर और समान गति में विन्यस्त होता है। सरदार पूर्ण सिंह के निबंध (मजदूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, आचरण की सभ्यता) इस शैली के उदाहरण है।
(5) विक्षेप एवं प्रलाप शैली –
विक्षेप एवं प्रलाप शैली का प्रयोग आत्मपरक एवं भावात्मक निबंधों में होता है। विक्षेप शैली में भावों की धारा कुछ-कुछ उखड़ती हुई रहती है। इसमें तारतम्य एवं नियंत्रण का अभाव रहता है। प्रलाप शैली की भावाभिव्यक्ति में तीव्रता के साथ-साथ कुछ रूक्षता भी रहती है।
अन्य शैली – इन प्रमुख शैलियों के अतिरिक्त हिंदी निबंध में व्यय शैली (बालकृष्ण भट्ट, बालमुकुन्द गुप्त, हरिशंकर परसाई), आलोचनात्मक शैली (आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी), आलंकारिक शैली, प्रतीकात्मक, बिम्बात्मक, चित्रात्मक, संवाद शैली इत्यादि विविध शैलियां प्रयोग में लायी जाती हैं।
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