नाटक और गीति नाटक में अंतर बताइए (Natak Aur Geeti Natak Mein Antar Bataiye): आज के आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के अन्तर्गत नाटक और गीति नाटक में अंतर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी शेयर करेंगे।
नाटक और गीति नाटक में अंतर बताइए ?
नाटक और गीति नाट्य में मुख्य अंतर संवाद का होता है। नाटक के संवाद गद्य में और गीति नाट्य के संवाद पद्य में या लयात्मक कविता के रूप में होते हैं। काव्य के प्रयोग से गीति नाट्यों में भावावेग की तीव्रता और कल्पना की झंकार का वातावरण उत्पन्न होता है। उस काव्यात्मक विशेषता के अतिरिक्त गीति नाट्य का रूपबंध और रचना रूढ़ियाँ नाटक की होती हैं।
गीति नाट्य के कुछ उदाहरण हैं –
अंधायुग-धर्मवीर भारती। मत्स्यगंधा-उदयशंकर भट्ट।
एक कंठ विषपायी-दुष्यंत कुमार। स्वर्णश्री-गिरिजा कुमार माथुर।
हिंदी में गीति नाट्य-परंपरा का श्रीगणेश जयशंकर प्रसाद के ‘करुणालय’ से हुआ। यह हिंदी गीति नाट्य की प्रथम रचना है तो मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘अनघ’ द्वितीय गीति नाट्य है।
Search Queries:
नाटक और गीति नाटक में अंतर बताइए,नाटक और गीति नाटक में अंतर,नाटक और गीति नाटक में अंतर लिखिए,नाटक और गीति नाटक में अंतर स्पष्ट कीजिए,natak aur geeti natak mein antar bataiye,natak or giti natak mein antar bataiye,natak aur geeti natak mein antar,natak aur geeti natak mein antar likhiye.