आधुनिक काल

नई कविता की विशेषताएँ

नई कविता की विशेषताएँ (Nai Kavita Ki Visheshtaen): आज के आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के अन्तर्गत नई कविता की विशेषताओं पर सम्पूर्ण जानकारी शेयर करेंगे।

नई कविता की विशेषताएँ

सन् 1943 ई. में अज्ञेय के नेतृत्व में हिंदी-कविता के क्षेत्र में एक नये आंदोलन का प्रवर्तन हुआ, जिसे प्रयोगवाद, प्रपद्यवाद, नई कविता इत्यादि विभिन्न संज्ञाओं से विभूषित किया गया। छठा दशक नई कविता (Nai Kavita) का दशक है। नई कविता वस्तुतः 1953 ई. में ‘नये पत्ते’ के प्रकाशन के साथ विकसित हुई।

1952 ई. में अज्ञेय ने आकाशवाणी पटना की भेंटवार्ता में ‘नई ‘कविता’ शब्द का प्रयोग किया था। जगदीश गुप्त और रामस्वरूप चतुर्वेदी द्वारा संपादित संकलन ‘नयी कविता’ (1954) में यह सर्वप्रथम अपने समस्त प्रतिमानों के साथ सामने आई। कई विद्वानों ने भारतीय स्वतंत्रता- प्राप्ति के पश्चात् लिखी गई कविता को ‘नई कविता’ कहा है।

नई कविता की विशेषताएँ (Nai Kavita Ki Visheshtaen) इस प्रकार हैं –

1. सभी वादों से मुक्ति –

नई कविता (Nai Kavita) का कोई वाद नहीं है, जो अपने कथ्य एवं दृष्टि से सीमित हो। कथ्य की व्यापकता और दृष्टि की उन्मुक्तता नई कविता की सबसे बड़ी विशेषता है। द्वितीय सप्तक (1951) की भूमिका में अज्ञेय जी ने लिखा है कि –“प्रयोग कोई वाद नहीं है। हम वादी नहीं रहे, नहीं हैं।”

2. घोर वैयक्तिकता –

नई कविता का प्रमुख लक्ष्य निजी मान्यताओं, विचारधाराओं और अनुभूति का प्रकाशन करना था। यथा –

साधारण नगर के, एक साधारण घर में, मेरा जन्म हुआ।
बचपन बीता अति साधारण, खान-पान, साधारण वस्त्र वास। (भारत भूषण)

3. दूषित वृत्तियों का नग्न रूप में चित्रण –

जिन वृत्तियों को अश्लील, असामाजिक एवं अस्वस्थ कहकर समाज और साहित्य में अब तक दमन किया जाता रहा था, नई कविताओं में उसकी निःसंकोच प्रस्तुति हुई। उदाहरणार्थ –

मेरे मन की अंधियारी कोठरी में,
अतृप्त आकांक्षा की वेश्या बुरी तरह खाँस रही है। (अनंत कुमार पाषाण)

4. भदेस का चित्रण –

नई कविता के कवियों ने भदेस (असुंदर, कुरूप, भद्दा) का चित्रण भी खूब किया है, जैसे –

मूत्र सिंचित मृत्तिका के वृत्त में,
तीन टाँगों पर खड़ा नत ग्रीव, धैर्यधन गदहा। – (अज्ञेय)

5. अन्य विशेषताएँ –

लघुमानव की प्रतिष्ठा, क्षणवादी समसामयिकता साधारण विषयों (जैसे – चूड़ी का टुकड़ा, चाय की प्याली, बाटा की चप्पल, कुत्ता, पेंटिंग रूम, दाल, तेल, इत्यादि) का चयन, व्यक्ति स्वातंत्र्य रूप इत्यादि नई कविता की अन्यतम विशेषताएँ थीं।

6. शैलीगत प्रवृत्तियाँ –

नये कवियों ने नये प्रतीक, उपमान, बिंब, नयी शब्दावली इत्यादि का प्रचुर प्रयोग किया था –
(i) नये प्रतीक – प्यार का बल्ब फ्यूज हो गया।
(ii) नये उपमान – आपरेशन थियेटर सी, जो हर काम करते हुए भी चुप है।
(ii) नई शब्दावली – फफूंद, बिटिया, ठहराव, अस्मिता, पारमिता इत्यादि।

नई कविता का अपना मिजाज और तेवर है। जो लोग इसे बकवास या शब्दों का जाल कहते हैं उनके विषय में केशरी कुमार का कथन है कि – “नई कविता कोई बउआ जी का झुनझुना नहीं है, जिसे जो चाहे जब चाहे बजा ले।”

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